निस्वार्थ सेवा संस्थान द्वारा संचालित रोटी बैंक ने सेवा के 2700 दिन पूरे कर लिए हैं। यह अवसर केवल एक संख्या नहीं, बल्कि उन हजारों जरूरतमंद लोगों की मुस्कान और तृप्त पेटों की कहानी है, जिन्हें बीते साढ़े सात वर्षों से संस्था ने बिना किसी भेदभाव के भोजन उपलब्ध कराया है।
रोटी बैंक की शुरुआत निस्वार्थ सेवा के संकल्प के साथ की गई थी, जिसका उद्देश्य था – "कोई भी भूखा न सोए"। तब से लेकर आज तक, संस्था ने हर दिन सैकड़ों जरूरतमंदों को ताजा व स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराया है। यह सेवा केवल भोजन तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग सहभागी बन रहे हैं। संस्थान के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने इस मौके पर कहा, “हमारा उद्देश्य केवल रोटियाँ बाँटना नहीं, बल्कि समाज में मानवीय संवेदनाओं को जागृत करना है। “यह सिर्फ सेवा नहीं, यह एक आंदोलन है। निस्वार्थ सेवा संस्थान ने यह सिद्ध किया है कि छोटा प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकता है।” गांधी पार्क में आयोजित कार्यक्रम में विशेष रूप से जरूरतमंद और बुजुर्गों को भोजन वितरित किया गया। साथ ही, उपस्थित लोगों को ‘भूखमुक्त शहर’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया गया। संस्थान का यह प्रयास कोविड महामारी के दौरान भी रुका नहीं। उस कठिन समय में भी स्वयंसेवक मास्क, सैनिटाइज़र और भोजन लेकर जरूरतमंदों तक पहुँचे। इस सेवा भाव ने न केवल भूखों का पेट भरा, बल्कि अनेक लोगों को समाज सेवा के लिए प्रेरित भी किया।2700 दिनों की यह यात्रा यह सिद्ध करती है कि जब नीयत साफ़ हो और उद्देश्य बड़ा हो, तो समाज में बदलाव लाना संभव है। निस्वार्थ सेवा संस्थान का यह प्रयास हर शहर के लिए एक प्रेरणा है। इस अवसर पर अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, सचिव नीरज गोयल , कोषाध्यक्ष/मीडिया प्रभारी सीए प्रतीक अग्रवाल , प्रवक्ता हिमांशु गौड़ , कॉर्डिनेटर चंद्र प्रकाश अग्रवाल , सोशल मीडिया प्रभारी सारांश टालीवाल, सह सचिव तरूण राघव , सह सचिव निश्कर्ष गर्ग , वरुण अग्रवाल, डॉ रंगेश शर्मा , सतेंद्र मोहन , लोकेश अग्रवाल, आशीष अग्रवाल , आलोक अग्रवाल ,अवधेश कुमार बंटी, रितिक बंसल ,संदीप गोयल, दीपांशु वार्ष्णेय, मयंक ठाकुर , मयंक अग्रवाल, आतिश अग्रवाल, मुकुंद मित्तल, सुनील कुमार , आiदि उपस्थित रहे ।