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हाथरस

रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया
792 दिन

आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा नगर के सुरजो बाई गर्ल्स इंटर कॉलेज में रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हाथरस नगर पालिका अध्यक्ष श्वेता चौधरी, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में महिला थाने की थानाध्यक्ष निशा चौधरी, विद्यालय की प्रधानाचार्य सुधा गुप्ता तथा मुख्य वक्ता के रूप में अभाविप की प्रांत सह छात्रा प्रमुख जयललिता कुशवाहा ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।
रानी दुर्गावती के शौर्य के विषय में विस्तार से बताते हुए पालिकाध्यक्ष श्वेता चौधरी ने कहा कि* दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। महोबा के राठ गांव में 1524 ई. की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गई। राजा संग्राम शाह ने अपने पुत्र दलपतशाह से विवाह करके उन्हें अपनी पुत्रवधू बनाया। विवाह के चार वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया। उस समय दुर्गावती की गोद में तीन वर्षीय नारायण ही था। अतः रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया। उन्होंने अनेक मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाई। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केन्द्र था। उन्होंने अपनी दासी के नाम पर चेरीताल, अपने नाम पर रानीताल तथा अपने विश्वस्त दीवान आधारसिंह के नाम पर आधारताल बनवाया। 
महिला थाने की थानाध्यक्ष निशा चौधरी ने कहा कि वीरांगना ने अपने जीवित रहते हुए मुगलों के अत्याचारों का सामना वीरता और साहस से किया।
इस दौरान विस्तारक सौरभ राठौर, नगर आंदोलन प्रमुख आकाश, संजना सिंह, शिल्पी भारद्वाज एवं अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।